प्रदूषण में फेंफड़ों को रखना है स्वस्थ तो करने होंगे ये उपाय

Written by Juli Kumari

@Health Expert

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दिल्ली-एनसीआर (delhi Ncr) में प्रदूषण के स्तर (air quality) ने इतना विकराल रूप ले लिया है कि यहां रहना तो दूर सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। अक्सर हमने देखा है कि दिवाली के अगले दिन से दिल्ली की हवा ज़हरीली हो जाती है। लेकिन इस बार तो स्थिति ने ऐसे करवट बदली की दिवाली के पहले से ही यहां की हवा दमघोंटू (air pollution) हो गई है। जिसके कारण अब दिल्ली-एनसीआर में रहना खतरों से खाली नहीं है।

प्रदूषण में फेंफड़ों को रखना है स्वस्थ तो करने होंगे ये उपाय

  1. प्रदूषण बढ़ने के कारण
  2. क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स का कहना?
  3. एयर पॉल्यूशन से कैसे बचें
  4. प्रदूषण का इतिहास बहुत पुराना है

प्रदूषण बढ़ने के कारण(Due to increased pollution)

जब हमारे आस-पास का वातावरण खराब हो जाता है या किसी कारण से दूषित होने लगता है तो ये प्रदूषण के कारण बनते हैं। ऐसा होने के कई कारण हैं जैसे-

  • पॉल्यूशन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पटाखों का इस्तेमाल करना है। तमाम पाबंदियों के बावज़ूद भी लोग दिवाली पर पटाखे जलाना नहीं छोड़ते हैं। जिसके कारण पॉल्यूशन बढ़ने लगता है। क्योंकि पटाखों से निकलने वाली दूषित और जहरीला धुंआ (smog) हमारे आस-पास के वातावरण को प्रभावित करती है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण भी हवा दूषित (air pollution) हो रही है। क्योंकि ये गैस पेट्रोल व डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों के कारण फैलता है।
  • फौक्ट्रियों से निकले वाले गैस भी हमारी हवा को खराब करते हैं। ये हवा इतनी ज़हरीली होती है कि ये इंसानों के साथ-साथ जीव-जंतुओं को भी अपने प्रभाव में ले लेती है।
  • इसके अलावा पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं का कम होना भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।
  • पॉलिथीन, पराली, पेपर और टायर आदि जलाने से प्रदूषण फैलता है। ये गैस शरीर में पहुंचकर कार्बाक्सिहिमोग्लोबिन बना लेती है। जिसका स्तर बढ़ने से व्यक्ति बिमार हो सकता है।

क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स का कहना?(air quality index)

दिन-प्रतिदिन दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण लोग मास्क और स्कार्फ आदि का सहारा ले रहे हैं।

एयर क्वालिटी इंडेक्स के रिकार्ड के अनुसार रविवार को हालात बेहद गंभीर थे। मिली जानकारी के अनुसार रविवार के दिन दिल्ली-एनसीआर में 1211, फरीदाबाद 894, गुरूग्राम में 806, नई दिल्ली 1086, गाजियाबाद 1563 पर पहुंच चुका है। इतना ही नहीं इस पॉल्यूशन के कारण एयरपोर्ट से चलने वाले सभी विमान भी प्रभावित होने लगे हैं।

एयर पॉल्यूशन से कैसे बचें (How to safe in air pollution)

एयर पॉल्यूशन के कारण लोगों को खांसी-जुकाम, आंखों में जलन, बलगम और छाती में दर्द आदि की समस्या आम हो गई है। इस स्थिति का शिकार होने से बचने के लिए लोग मास्क, स्कार्फ आदि का इस्तेमाल करते हैं। जिससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप एयर पॉल्यूशन से बच सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

  • पानी पीएं- ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीएं। ये आपको दूषित धुंए से बचाएगा क्योंकि पानी से शरीर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती है।
  • घर से बाहर जाने से बचें- यदि आप अस्थमा के मरीज़ हैं तो घर से बाहर निकलने से बचें। और घर में भी एयर प्यूरीफायर लगवाएं। इससे आपको सांस लेने में राहत मिलेगी।
  • व्यायाम ना करें- अगर आपको व्यायाम करने की आदत है तो ये बहुत अच्छी बात है लेकिन इस प्रदूषण की स्थिति में छत पर जाकर व्यायाम करने से बचें। क्योंकि छत पर जाकर योगा, कसरत और व्यायाम करने से आपकी हालत और भी खराब हो सकती है। क्योंकि ये खुली हवा आपको स्वस्थ करने की जगह और भी बिमार कर सकती है।
  • खिड़कियां बंद रखें- धुएं के प्रवेश की गति को कम करने के लिए अपने घर की खिड़की दरवाजे बंद रखें। कोशिश करें सुबह के 5 से 10 बजे तक खिड़की दरवाजे बंद हो।

  • मास्क लगाएं- बाहर जाते समय चश्मा और मास्क लगाना बिल्कुल ना भूलें। नाक और आंखों को पूरी तरह कवर करके ही घर से बाहर निकलें। साथ में पानी की बोतल ज़रूर ले जाएं।
  • वाहन चलाने से बचें- कोशिश करें दफ्तर जाने के लिए निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें।
  • बाहर का खाना ना खाएं- बाहर का खाना खाने से बचें। क्योंकि बाहर का खाना आपको प्रदूषण में सांस लेने से ज़्यादा प्रभावित करता है। साथ ही स्मोकिंग बिल्कुल भी ना करें।
  • पॉल्यूशन चैक करवाएं- अगर आप ट्रैवल के लिए गाड़ी, बाइक या अन्य किसी वाहन का इस्तेमाल करते हैं तो अपनी गाड़ी का पॉल्यूशन चैक ज़रूर करवाएं।
  • कैंसर के मरीज़ के लिए खतरा- यदि आप लंग कैंसर से पीड़ित हैं तो इस स्थिति में आपको अधिक सावधानी बरतने की ज़रूरत है। क्योंकि एयर पॉल्यूशन की वजह से लंग कैंसर के मरीजों की मौत जल्दी हो जाती है।
  • बच्चों को बाहर ना जाने दें- अपने बच्चों को बाहर या स्कूल आदि ना भेजें। क्योंकि एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि इस स्थिति में बच्चों को फेफड़ों के रोग, हृदय रोग, लंग कैंसर का खतरा हो सकता है।

प्रदूषण का इतिहास बहुत पुराना है

जब मानव का दिमागी विकास नहीं हुआ था तभी से ही प्रदूषण की समस्या चली आ रही है। उसके बाद तमाम आविष्कारों ने प्रदूषण का स्तर और बढ़ा दिया। क्योंकि बिना सोचे-समझे आविष्कारों के जन्म होते ही मनुष्यों ने जंगल की लकड़ियां काटना, गंदगी फैलाना, पशुओं को मारकर खा जाना, नंदियों का पानी गंदा करने जैसे काम करने लगे। इतना ही नहीं कुछ समय बाद कल-कारखानो में ऐसे कार्य होने लगे जिसके लिए अधिक से अधिक लकड़ियों का प्रयोग किया जाने लगा। वनों की कटाई बहुत अधिक मात्रा में होने के कारण आजतक प्रदूषण का स्तर खराब देखा जा रहा है।

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